यह कैसा समय है...
कैसा समां है
के शाम है पिघल रही...
यह सब कुछ हसीं है,
यह सब कुछ हसीं है,
सब कुछ जवान है...
है ज़िन्दगी मचल रही...
है ज़िन्दगी मचल रही...
जगमगाती...
झिलमिलाती...
पलक पलक पे ख्वाब है...
सुन... यह हवाएं... गुनगुनाये...
जो गीत लाजवाब है...
के बूम बूम बूम... परा... परा...
है खामोश दोनों
के बूम बूम बूम... परा... परा...
है मदहोश दोनों
पलक पलक पे ख्वाब है...
सुन... यह हवाएं... गुनगुनाये...
जो गीत लाजवाब है...
के बूम बूम बूम... परा... परा...
है खामोश दोनों
के बूम बूम बूम... परा... परा...
है मदहोश दोनों
जो गुम्म्सुम गुम्म्सुम है यह फिजायें
जो कहती सुनती है यह निगाहें
गुम्म्सुम गुम्म्सुम है यह फिजायें... है ना...
जो कहती सुनती है यह निगाहें
गुम्म्सुम गुम्म्सुम है यह फिजायें... है ना...
-- जावेद अख्तर