Wednesday, May 25, 2011

मिठाई की दुकान - लोहित मलिक


मिठाई की दुकान (हास्य कविता) 


रामलाल ने खोली एक मिठाई की दुकान 
इसके पास होते गुलाबजामुन लाल लाल
जो भी इस गुलाबजामुन को खाता 
लाल रसीला वह हो जाता |

इसके पास होता लड्डू गोल गोल
जो भी इस लड्डू को खाता 
गोल गोल वह भी हो जाता |

इसके पास होता आगरे का पेठा
चीनी समान वह होता मीठा मीठा 
जो भी इस पेठे को को खाता 
वह भी मीठा बोलता जाता |

इसके पास होती बहुत सी इमरती 
जिसकी सदा बोलती रहती तूती
जो भी इस इमरती को खाए
वह खुद भी इमारती की तरह हो जाए | 

जो लोग रामलाल की दुकान पर जाते है 
बहुत सी मिठाइयाँ वे सब पाते हैं 
रामलाल की मिठाइयों को खाकर 
सब लोग वाह वाह कहते जाते हैं | 

-       लोहित मलिक

मिठाई की दुकान, मंदिर वाली गली, युसूफ सराय, नई दिल्ली